Shekhtaki made Kabir Parmeshwar into boiling oil. But Kabir Saheb was sitting as if the oil was not hot. Alexander the King put his finger to test the oil, then his finger got burnt. But nothing happened to the eternal God Kabir.
गोरखनाथ से गोष्ठी एक बार कबीर परमेश्वर जी और गोरखनाथ जी की गोष्ठी हुई। गोरखनाथ जी गंगा नदी की ओर चल पड़ा। उसमें जा कर छलांग लगाते हुए कबीर जी से कहा कि मुझे ढूंढ दो मैं आपका शिष्य बन जाऊँगा। गोरखनाथ मछली बन कर गए। कबीर साहेब ने उसी मछली को पानी से बाहर निकाल कर सबके सामने गोरखनाथ बना दिया। तब गोरखनाथ कबीर जी के शिष्य बने। मृत गऊ को जीवित करना सिकंदर लोधी ने एक गऊ के तलवार से दो टुकड़े कर दिये। गऊ को गर्भ था और बच्चे के भी दो टुकड़े हो गए। तब सिकंदर लोधी राजा ने कहा कि कबीर, यदि तू खुदा है तो इस गऊ को जीवित कर दे अन्यथा तेरा सिर भी कलम कर (काट) दिया जाएगा। साहेब कबीर ने एक बार हाथ गऊ के दोनों टुकड़ों को लगाया तथा दूसरी बार उसके बच्चे के टुकड़ों को लगाया। उसी समय दोनों माँ-बेटा जीवित हो गए। साहेब कबीर ने गऊ से दूध निकाल कर बहुत बड़ी देग (बाल्टी) भर दी तथा कहा - गऊ अपनी अम्मा है, इस पर छुरी न बाह। गरीबदास घी दूध को, सब ही आत्म खाय।। चुटकी तारी थाप दे, गऊ जिवाई बेगि। गरीबदास दूझन लगी, दूध भरी है देग।।
राम नाम सुखदाई वेदों में भी प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने वाले साधक के पूर्ण परमात्मा सभी पाप कर्म काट देता है व अगर जीवन कम हो तो अपने कोटे से भक्ति करने के लिए नया जीवन भी देता है तो असली जीवन रक्षक तो वही हुआ यजुर्वेद अध्याय 5 मन्त्र 32 में उसका प्रमाण है। पवित्र गीता अध्याय 15 के श्लोक 4 में भी कहा है कि तत्वज्ञान की प्राप्ति के पश्चात परमेश्वर के उस परमपद की खोज करनी चाहिए जहां जाने के बाद साधक कभी लौटकर इस संसार में नहीं आते अर्थात पूर्ण मोक्ष प्राप्त कर लेते हैं।
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